Saturday 21 March 2015

कड़वा सच 


जिंदगी कब कहा किस मोड़ लाकर किस किस को खड़ी कर देती है और हम सभी वहाँ से निकलने के लिए सोचते रह जाते है की अब क्या करें कहा जाए किस फॉर्मूला का यूज करे की हम इस दलदल से बच निकले .......................!

Saturday 21 February 2015

इतिहास में छुपे राज

 लाल किला : कहते हैं कि इतिहास वही लिखता हैजो जीतता है या जो शासन करता है। लाल किला किसने बनवाया थायदि यह सवाल भारतीयों से पूछा जाए तो सभी कहेंगे शाहजहां ने। मुगल लाल किले को कभी लाल किला नहीं लाल हवेली कहते थे। क्योंकुछ इतिहासकारों के अनुसार इसे लालकोट का एक पुरातन किला एवं हवेली बताते हैं जिसे शाहजहां ने कब्जा करके इस पर तुर्क छाप छोड़ी थी। दिल्ली का लालकोट क्षेत्र हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान की 12वीं सदी के अंतिम दौर में राजधानी थी। लालकोट के कारण ही इसे लाल हवेली या लालकोट का किला कहा जाता था। बाद में लालकोट का नाम बदलकर शाहजहानाबाद कर दिया गया।
लाल कोट अर्थात लाल रंग का किलाजो कि वर्तमान दिल्ली क्षेत्र का प्रथम निर्मित नगर था। इसकी स्थापना तोमर शासक राजा अनंगपाल ने 1060 में की थी। साक्ष्य बताते हैं कि तोमर वंश ने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में लगभग सूरज कुण्ड के पास शासन कियाजो 700 ईस्वी से आरम्भ हुआ था। फिर चौहान राजापृथ्वी राज चौहान ने 12वीं सदी में शासन ले लिया और उस नगर एवं किले का नाम किला राय पिथौरा रखा था। राय पिथौरा के अवशेष अभी भी दिल्ली के साकेतमहरौलीकिशनगढ़ और वसंत कुंज क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं।
इतिहासकार मानते हैं कि शाहजहां (1627-1658) ने जो कारनामा तेजोमहल के साथ किया वही कारनामा लाल कोट के साथ। लाल किला पहले लाल कोट कहलाता था। दिल्ली का लाल किला शाहजहां के जन्म से सैकड़ों साल पहले 'महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीयद्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था। महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय अभिमन्यु के वंशज तथा परमवीर पृथ्वीराज चौहान के नानाजी थे।
शाहजहां ने 1638 में आगरा से दिल्ली को राजधानी बनाया तथा दिल्ली के लाल किले का निर्माण प्रारंभ किया। अनेक मुस्लिम विद्वान इसका निर्माण 1648 ई. में पूरा होना मानते हैं। लेकिन ऑक्सफोर्ड बोडिलियन पुस्तकालय में एक चित्र सुरक्षित है जिसमें 1628 ई. में फारस के राजदूत को शाहजहां के राज्याभिषेक पर लाल किले में मिलता हुआ दिखलाया गया है। यदि किला 1648 ई. में बना तो यह चित्र सत्य का अनावरण करता है।
इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि तारीखे फिरोजशाही में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल (लाल प्रासाद/महल ) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया।
कई भारतीय विद्वान इसे लाल कोट का ही परिवर्तित रूप मानते हैं। इसमें संदेह नहीं कि लाल किले में अनेक प्राचीन हिन्दू विशेषताएं-किले की अष्टभुजी प्राचीरतोरण द्वारहाथीपोलकलाकृतियां आदि भारतीयों के अनुरूप हैं। शाहजहां के प्रशंसकों तथा मुस्लिम लेखकों ने उसके द्वारोंभवनों का विस्तारपूर्वक वर्णन नहीं किया है।
इतिहास के अनुसार लाल किले का असली नाम 'लाल कोटहै जिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन् 1060 ईस्वी में बनवाया गया था। बाद में इस लाल कोट को पृथ्वीराज चौहान ने ‍जीर्णोद्धार करवाया था। लाल किले को एक हिन्दू महल साबित करने के लिए आज भी हजारों साक्ष्य मौजूद हैं। यहां तक कि लाल किले से संबंधित बहुत सारे साक्ष्य पृथ्वीराज रासो में मिलते हैं।
तारीखे फिरोजशाही के लेखक के अनुसार सन् 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल (लाल प्रासाद/ महल) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया। सिर्फ इतना ही नहींअकबरनामा और अग्निपुराण दोनों ही जगह इस बात के वर्णन हैं कि महाराज अनंगपाल ने ही एक भव्य और आलीशान दिल्ली का निर्माण करवाया था। शाहजहां से 250 वर्ष पहले 1398 ईस्वी में आक्रांता तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है।
लाल किले के एक खास महल में सूअर के मुंह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं। इस्लाम के अनुसार सूअर हराम है। साथ ही किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित हैक्योंकि राजपूत राजा हाथियों के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे। इसी किले में दीवाने खास में केसर कुंड नामक कुंड के फर्श पर कमल पुष्प अंकित है। दीवाने खास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वीं के अंबर के भीतरी महल (आमेर/पुराना जयपुर) से मिलती हैजो कि राजपुताना शैली में बनी हुई है। आज भी लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने हुए देवालय हैं जिनमें से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकर मंदिर हैजो कि शाहजहां से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं के बनवाए हुए हैं। लाल किले के मुख्य द्वार के ऊपर बनी हुई अलमारी या आलिया इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि यहां पहले गणेशजी की मूर्ति रखी होती थी। पुरानी शैली के हिन्दू घरों के मुख्य द्वार के ठीक ऊपर या मंदिरों के द्वार के ऊपर एक छोटा सा आलिया बना होता है जिसके अंदर गणेशजी की प्रतिमा विराजमान होती है।
11 मार्च 1783 को सिखों ने लाल किले में प्रवेश कर दीवान-ए-आम पर कब्जा कर लिया था। नगर को मुगल वजीरों ने अपने सिख साथियों को समर्पित कर दिया। उसके बाद इस पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया।

Sunday 9 November 2014

सभी को नमस्कार, प्रणाम, आशीर्वाद -
आज लोगों की आवश्यकता क्याहै ? हम ये भूलते जा रहे है, कुछ लोग तो आवश्यकता से ज्यादा भी पाने की कोशिश में लगे है।